क्या आप हिन्दी मीडियम से आई ए एस बनना चाहते हैं ?



Do you want to be an IAS from Hindi Medium ?

आई ए एस बनना हममें से सबका नहीं तो बहुतों का सपना होता है और हो भी क्यों ना हमारे देश की सरकारी नौकरियों में इसे सबसे प्रतिष्ठित माना जाता है। हालांकि इसे एक कठिन परीक्षा माना जाता है परंतु सकारात्मक नजरिये से और शुरू से ही ढंग से तैयारी की जाए तो इसमें सफल होना उसी तरह मुमकिन है जिस तरह किसी अन्य प्रतियोगिता में। दुनिया की सबसे उंची चोटी एवरेस्ट को माना जाता है बावजूद इसके दृढ़ विश्वास के बूते ना जाने कितने लोग उसे हर साल फतह करते हैं। उसी तरह हर साल सफल होने वाले UPSC Toppers के Interviews प्रतियोगी पत्रिकाओं, अखबारों, मीडिया में आते हैं जिनको पढ़कर हर तैयारी करने वाले Civil Service Aspirant को लगता है कि वह भी इन टॉपर्स की तरह बन सकता है और ये सही भी है क्यों कि टॉपर्स हम सबके बीच से ही आते हैं। बस उन्हें दूसरों से जो अलग करता है वो है पूरी योजना और समर्पण के साथ तैयारी।


हिंदी एक ऐसा माध्यम है जिसमें टॉपर्स की संख्या भले अधिक ना हो पर जो इस माध्यम में टॉप करते हैं उनमें एक बात जरूर होती है कि वो अपने हिंदी मीडियम से होने के कारण कभी हीनभावना नहीं महसूस करते जबकि हिन्दी से यूपीएससी परीक्षा देने वालों का बहुत बड़ा वर्ग कहीं ना कहीं खुद को Enlish Medium Aspirants की तुलना में कमतर समझता है और यहीं असफलता का बीजारोपण उनके मन में हो जाता है। ऐसा नहीं है कि हिन्दी माध्यम होना इस परीक्षा में आपके सफल होने पर कोई प्रभाव रखता है केवल हमारा सफलता के प्रति संदेह ही हमें कमजोर कर देता है। हालांकि केवल हिन्दी ही नहीं अन्य बहुत सी भारतीय भाषाओं में भी इस परीक्षा को देने वालों और सफल होने वालों की एक बड़ी संख्या है। प्रारंभिक परीक्षा के पश्चात मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में मायने रखता है आपका ज्ञान और विचारों को व्यक्त करने की आपकी क्षमता और जाहिर है हिन्दी मीडियम से पढ़ने वाले भी ये क्षमताएं अपने परिश्रम द्वारा बखूबी अर्जित कर सकते हैं। और यदि हिन्दी आपकी मातृभाषा रही है और आप उसमें सुविधाजनक तरीके से अपने विचारों को रख सकते हैं तो आपको वही माध्यम चुनना चाहिए। अंग्रेजी माध्यम में भी वही प्रतिभागी सफल होते हैं जो अंग्रेजी पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं और बहुत से अंग्रेजी मीडियम वाले छात्र इसमें इसलिए असफल होते हैं कि वे अंग्रेजी मीडियम से पढ़े तो होते हैं पर उनकी अभिव्यक्ति और लेखन क्षमता में वो बात नहीं होती या फिर वे दूसरों की देखा देखी इस माध्यम को चुनकर परीक्षा देते हैं। केवल अंग्रेजी आपको इसमें सफलता नहीं दिला सकती पर यदि विषयों पर आपकी जबरदस्त पकड़ है और लेखन के साथ ही अभिव्यक्ति में भी आप खुद को कंफर्टेबल समझते हैं तो माध्यम कोई मायने नहीं रखता। बेधड़क आप किसी भी माध्यम से परीक्षा दीजिए।

हां एक बात और कि Hindi medium से तैयारी के साथ आपको Books और Study Material का चुनाव सावधानी से करना होगा। अच्छी गुणवत्ता की किताबें और नोट्स ही आपको सफल बनाने में मदद करेंगे क्योंकि हिन्दी में सामग्री की तो भरमार है, अनगिनत कोचिंग और प्रतियोगी पत्रिकाएं हैं पर उनमें से ज्यादातर का स्तर बहुत खराब होता है। अंग्रेजी में अच्छी गुणवत्तापूर्ण कोर्स मैटीरियल जहां ज्यादा प्रतिशत में है वहीं हिंदी में कम। इसलिए केवल अच्छी किताबें और मैगजीन्स ही चुनें।

अगले भाग  में हम चर्चा करेंगे कि इस माध्यम से परीक्षा की तैयारी के लिए कौन सी किताबें, पत्रिकाएं, अखबार आदि पढ़े जाएं ताकि सफलता सुनिश्चत हो सके।
Read More »

चिंता को हराने का सबसे आसान फॉर्मूला



Hindi Review of Dale Carnegie book 'How to stop worrying and start living'

 ये तो हम सभी जानते हैं कि चिंता ऐसी बीमारी है जो एक बार लग जाये तो आसानी से नहीं छूटती और ये भी एक सच है कि दुनिया में यदि सबसे बड़ी कोई बीमारी है तो वो यही है। शरीर की बीमारियों को तो हम दवाओं से दूर कर सकते हैं पर इसके लिए कोई दवा भी काम नही आती। ना तो ठीक से हम खुद समझ पाते हैं कि असल में समस्‍या क्‍या है और ना ही किसी और को अपने मन की बात समझा पाते हैं। बस हर समय अंदर ही अंदर इससे लड़ते रहने और कोई रास्‍ता ना समझ आने से हमारी हालत उस ड्राइवर जैसी हो जाती है जो ना तो गाड़ी को कंट्रोल में रख पा रहा है ना ये जानता है कि उसको जाना कहां है और किस रास्‍ते जाए। ये समस्‍या इस प्रकार की होती हैं कि ना तो हम खुद कुछ कर पाते हैं ना ही हमारे आसपास के लोग हमारी मदद कर पाते हैं क्‍योंकि वे खुद नहीं समझ पाते कि समस्‍या की जड़ कहां है और उससे निपटना कैसे है। ऐसे में ज्‍यादातर लोग चिंता करने वाले को उसके हाल पे छोड़ देते हैं और समस्‍या अक्‍सर इतनी बढ़ जाती है कि डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति आने के अलावा लोग आत्‍महत्‍या जैसे बेहद नकारात्‍मक विचारों तक में डूब जाते हैं।




हालात चाहे जितने भी भयानक और बुरे हों पर उन्‍हें सुधारने की शुरूआत कभी भी किसी भी स्‍टेज पर की जा सकती है। अक्‍सर ऐसे लोग बेहद नाउम्‍मीद हो जाते हैं पर जब चिंता और Negativity के जाल से निकलने के लिए हम थोड़ी थोड़ी कोशिश करना शुरू कर देते हैं बस वहीं से चीजें आसान होना शुरू हो जाती हैं और इस कोशिश का अर्थ कुछ करना नहीं है केवल ये समझना है कि दुनिया में आप अकेले इंसान नहीं हैं जो इतनी सारी समस्‍याओं से घिरे हुए हैं, दुनिया में अनगिनत लोगों ने उनसे भी बुरे दिन देखे इसके बावजूद भी वे वो सब कर पाये जिसकी वो उम्‍मीद तक खो चुके थे।

'चिंता छोड़ो सुख से जियो' ( Chinta Chodo Sukh Se Jiyo) के लेखक डेल कारनेगी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। जहां उन्‍होंने शुरुआत में अपने बारे में बात की है कि वे अपने शहर न्‍यूयार्क के सबसे दुखी लोगों में से एक थे। वे अपने काम से नफरत करते थे और हर दिन चिंता, निराशा, सिरदर्द, कड़वाहट में जीते थे। उनके खुशनुमा सपने बुरे सपनों में बदल गये थे। तब उन्‍होंने इसे बदलने का निर्णय लिया और अपनी जिंदगी को खुशहाल और सुखद बनाने के लिए किये गये प्रयासों के दौरान उन्‍होंने ये किताब लिखी। उन्‍होंने इस किताब की प्रस्‍तावना में लिखा है : ' चिंता मानव-जाति के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्‍याओं में से एक है, इसलिए आप ये सोचेंगे ना कि दुनिया के हर हाई स्‍कूल और कॉलेज में ये कोर्स चलाना चाहिये कि - चिंता को कैसे दूर किया जाए ? मगर दुनिया के किसी भी कॉलेज में इस विषय पर कोई कोर्स चलता हो तो मैंने उस कॉलेज का नाम नहीं सुना।'

डेल कारनेगी के शब्‍दों में - ' आपने इस पुस्‍तक को ये जानने के लिए नहीं उठाया कि इसे कैसे लिखा गया। आपको एक्‍शन की तलाश है। कृपया इस पुस्‍तक के भाग 1 और 2 को पढ़ें और अगर उस समय तक आपको ये ना लगे कि चिंता छोड़ने और सुख से जीने के लिए आपमें नयी शक्ति और प्रेरणा जाग गयी है - तो इस किताब को उठाकर दूर फेंक दें। ये आपके काम की नहीं है।'

इस पुस्‍तक को पढ़ने से चिंता छोड़ने और सुख से जीने की आपकी क्षमता यूकेलिप्‍टस के पेड़ की तरह बहुत तेजी से विकसित होगी और बढ़ेगी। ये एक प्रैक्टिकल वर्कबुक है चिंता को जीतने और एक खुशहाल जिंदगी के लिए। इसकी विषय सूची और अध्‍यायों के नाम  पढ़ने से ही समझ में आ जाता है कि असल में जो हम खोज रहे थे वो सब लेखक ने अपने शब्‍दों में बयां कर दिया है। कुछ बेहद असरकारक फॉर्मूले हैं जो इस किताब आठ खंडों में दिये गये हैं। मेरे ख्‍याल में इस किताब को पढ़ने के बाद आप यही महसूस करेंगे कि आपकी चिंता या समस्‍या जिसको आप इतना बड़ा मान बैठे हैं आप उनसे भी बड़ी चिंताओं पर विजय पा सकते हैं। ये किताब एक बार पढ़े जाने के लिए नहीं है, जब भी आपको जरूरत हो, जब आप निराशा में घिरे हों तो हर बार ये आपकी मदद करती है। ऐसा कभी नहीं होता कि गहरे अवसाद या निराशा से निकलने के बाद हम हमेशा पॉजिटिव रहें Negativity हमें अक्‍सर घेर लेती है और जैसे मौसम बदलता है वैसे ही हमारा मूड भी हमेशा सकारात्‍मक नहीं रहता। इसलिए खुद को दुबारा चार्ज और Motivate करने के लिए हमें कुछ तो चाहिए होता है और ये किताब ये काम बहुत अच्‍छे से करती है, खासकर जब निराशा बहुत ज्‍यादा और कुछ भी समझ ना आये ऐसे समय में ये दमदार तरीके से हमें Life के Positive Track पे फिर से ले आती है।

इसके सबसे अंतिम भाग में उन लोगों की कहानियां दी गई हैं जो निराशा और नाउम्‍मीद की गहरी खाई से बच निकलने में सफल हुए। इनको पढ़ते हुए लगता है कि हम कम से कम इनसे तो बेहतर स्थिति में ही हैं। हमारा सब कुछ चौपट हो गया हो चाहे वो स्‍वास्‍थ्‍य हो, नौकरी, जिंदगी भर की मेहनत से खड़ा किया गया बिजनेस हो या कुछ भी हम सब कुछ दुबारा से खड़ा कर सकते हैं। जब हम अपने से भी बदतर स्थिति वाले लोगों को खड़ा होते देखते हैं तब हमें लगता है इस दुनिया में हम अकेले नहीं जिसके साथ ऐसा हुआ और हमसे भी बदतर हालत वाले लोग हैं और सबसे बड़ी बात कि दुबारा खड़े होने की इस जद्दोजहद में हम सीखते हैं कि खुश रहने के लिए हमें बहुत पैसे और सुविधाओं की जरूरत नहीं और जब हम खुश रहना सीख लेते हैं और जिंदगी के प्रति हमारा रवैया सकारात्‍मक हो जाता  है तो हम वो सब कर सकते हैं जो करना चाहते हैं। डेल कारनेगी Personality Development के क्षेत्र में सबसे बिकने वाला नाम हैं उनकी किताब How to win Friends and Infulence People जो हिन्‍दी में लोक व्‍यवहार के नाम से बिकती है 1935 से लेकर अब तक Bestseller Books की सूची में रही है साथ ही हाउ टु स्‍टॉप वॉरीइंग एंड स्‍टार्ट लिविंग भी।  उनके बाद ना जाने कितने लेखकों ने इस विषय पर लिखा होगा पर आज भी वे हीरो हैं और उनकी ये किताब Happiness and Tension Free Life जीने के सबसे बेस्‍ट तरीके सिखाती है।


Read More »

मुंशी प्रेमचंद की कहानियां सुनें



Hindi Audiobooks of Munshi Premchand Short Stories for Children

आज भी हिन्‍दी साहित्‍य में मुंशी प्रेमचंद सर्वाधिक पढ़े जाने वाले लेखकों में से हैं। जब भी किसी बुक स्‍टॉल या ऑनलाइन स्‍टोर पर उनकी कोई किताब नजर आ जाती है तो फिर से उसे पढ़ने का मन करता है। हिन्‍दी में प्रेमचंद जैसा शायद ही कोई लेखक होगा जिसकी लो‍कप्रियता किसी विशेष उम्र वर्ग की मोहताज नहीं। बच्‍चे भी उनकी कहानियॉं उतने ही शौक से पढ़ते हैं और बड़ों में भी उनके उपन्‍यास और कहानियां खासतौर पर लोकप्रिय हैं। उनकी भाषा में, किरदारों में जो सादापन है वही उनकी रचनाओं की विशेषता है। अपने लेखन के माध्‍यम से उन्‍होंने आम जनता के मन में जो पैठ बनाई वो आजादी के पहले के समय से लेकर आज 21वीं सदी तक कायम है। 



बच्‍चों के लिए हिन्‍दी भाषा को जानने, समझने और सीखने का माध्‍यम तो हैं ही उनकी रचनाएं इसके अलावा शिक्षाप्रद होना भी उनकी अपनी विशेषता है- चाहे ईद हो या पंच परमेश्‍वर, बूढ़ी काकी हो या बड़ भाईसाहब। आजकल बाल-साहित्‍य भले कम लिखा जा रहा हो पर आज भी उनकी कहानियां इंसानी रिश्‍तों की समझ और संवेदनाओं के बीज बच्‍चों के मन में बड़ी सहजता से बो देती हैं। अंग्रेजी शिक्षा और खासतौर से व्‍यावसायिक शिक्षा के हावी होने के इस दौर में बच्‍चों के लिए अपनी भाषा और विरासत से जोड़े रखने का माध्‍यम हैं ये रचनाएं। तकनीक के इस उन्‍नत दौर में किताबों के अलावा और भी माध्‍यम शिक्षा और मनोरंजन के लिए प्रयोग किये जा रहे हैं ऑडियोबुक्‍स भी एक ऐसा ही माध्‍यम है। खासकर बच्‍चों को ये खासतौर पर पसंद आयेगा और इस बहाने वे अपनी भाषा अपने साहित्‍य से नजदीकी रिश्‍ता बना सकेंगे।

यहॉं पर हम मुंशी प्रेमचंद की कुछ कहानियों के ऑडियो लिंक दे रहे हैं जिन्‍हें या तो आप ऑनलाइन सुन सकते हैं या उन्‍हें सेव करके ऑनलाइन सुन सकते हैं और दूसरों से शेयर भी कर सकते हैं-

मंदिर

गुल्‍ली डंडा

बड़े भाईसाहब

ठाकुर का कुआं
Read More »

ज्‍योतिष सीखना अब है आसान



Best Book in Hindi to Learn Astrology and Palmistry



ज्‍योतिष और हस्‍तरेखा विज्ञान ऐसे विषय हैं जिन्‍हें जानने वाले व्‍यक्ति के प्रति आम जनता का सहज आकर्षण रहता है चाहे आप इसे शौकिया तौर पर अपनायें या व्‍यवसायिक रूप में। आजकल जहां इन विषयों पर अधिकार का दावा करने वाले आपकी हर समस्‍या के समाधान का दावा करते हैं वही जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे बेवकूफ बनाकर पैसे ऐंठने वाले ढोंगियों की संख्‍या भी कम नहीं है। जैसे चिकित्‍सा क्षेत्र की थोड़ी बहुत जानकारी लेकर बहुत से झोलाछाप डॉक्‍टर अपनी दुकान खोले बैठे हैं वैसे ही यहां भी ऐसे झोलाछापों की कमी नहीं है। फिर भी चूंकि आजकल इसका बाजार बहुत बड़ा है और इस भीड़ में कौन विशेषज्ञ है और कौन नकली ये पता करना भी आसान नहीं खासकर टीवी और इंटरनेट के दौर में इसलिए सभी की दुकान थोड़ी हो या बहुत चल ही रही है। इस प्रोफेशन में ज्ञान ही पूंजी है इसलिए जो धैर्यपूर्वक निरंतर अध्‍ययन के साथ-साथ इस काम में लगे हैं वे ही अधिक तरक्‍की कर पाते हैं तो किसी भी पेशे की तरह अपने ज्ञान को इस पेशे में भी परिष्‍कृत करते रहना चाहिए। यदि केवल बिजनेस के नजरिये से ही इसे देखा जाए तो भी ये एक ऐसी इंटस्‍ट्री है जहां डिमांड बहुत ज्‍यादा है तो इसमें रुचि रखने वाले इसके बारे में सीखकर और समय के साथ अपनी जानकारी बढ़ाकर इसे एक Full Time या Part Time Self Employment Business के तौर पर इसे शुरू कर सकते हैं। 

सवाल ये है कि भविष्‍यफल बताने, कुंडली बनाने, विवाह कुंडलीमिलान जैसे विषयों को सीखने का सही तरीका क्‍या है। बहुत सारे विश्‍वविद्यालय भी आजकल एस्‍ट्रोलॉजी में कोर्स चला रहे हैं। हालांकि इस व्‍यवसाय को करने के लिए किसी डिग्री या योग्‍यता की जरूरत नहीं है ना ही इसके बारे में सरकार के कोई नियम आदि ही हैं। बहुत सारे लोग हैं जो इसे सीखना तो चाहते हैं पर समय या संसाधनों की कमी के कारण किसी पाठ्यक्रम आदि में दाखिला नहीं ले सकते ना ही वे सब जगह उपलब्‍ध हैं। उनके लिए विकल्‍प है कि उन्‍हें इस विषय पर उपलब्‍ध किताबों का अध्‍ययन करना चाहिए। पर प्रश्‍न यह कि कि एकदम शुरूआती स्‍तर पर इसके अध्‍ययन के लिए क्‍या पढ़ना चाहिए वरना यह विषय इतना जटिल है कि इस विषय पर लिखी किताबों और उनकी भाषा को पढ़कर कुछ पल्‍ले पड़ता नहीं व नये सीखने वाले को इस विषय से ही अरुचि हो जाती है और वह पढ़ना ही छोड़ देता है।

अभी अभी एक किताब हाथ में आई जो इस समस्‍या का समाधान करती है। ये एक बेसिक बुक है इस विषय को सिखाने वाली ठीक उस तरह जैसे हम अंग्रेजी सीखने के लिए एबीसीडी से शुरूआत करें। इस पुस्‍तक का नाम है – ‘आओ ज्‍योतिष सीखें – ज्‍योतिष सीखने की प्रथम पुस्‍तक’ नाम से ही स्‍पष्‍ट हो रहा है कि ये किस उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखकर लिखी गई है। इसके लेखक हैं तिलक चन्‍द ‘तिलक’ जो काफी समय से शौकिया तौर पर इस विषय के गहन अध्‍ययन में और इससे संबंधित लेखन में लगे हुए हैं।

ये पुस्‍तक यह कतई दावा नहीं करती कि इसे पढ़कर आप को ज्‍योतिष जैसे गूढ़ विषय पर अधिकार प्राप्‍त हो जाएगा। हां आप खुद को ज्‍योतिषी बताकर दुकान चलाने वाले किसी ऐरे गैरे व्‍यक्ति की तुलना में खुद को बेहतर स्थिति में पायेंगे और केवल 5 मिनट में कुंडली बनाने की योग्‍यता आप प्राप्‍त कर लेंगे। इसलिए इस पुस्‍तक को ज्‍योतिषी बनने के लिए पहली सीढ़ी के तौर पर देखें। यदि आप पहली सीढ़ी ठीक से चढ़ लेंगे तो आगे की चढ़ाई आसान हो जाएगी। इस पुस्‍तक की विशेषता है इसकी सरल भाषा और विषय को रुचिकर ढंग से पेश करने की शैली जो किसी के भी समझ में आसानी से आ सकती है । इस पुस्‍तक में आप कुछ बेहद शुरूआाती स्‍तर के प्रश्‍नों का समाधान पा सकते हैं जिनमें प्रमुख हैं- जन्‍म कुंडली क्‍या है और इसका क्‍या महत्‍व है, इसके बारह भाव एवं प्रकार, अपनी जन्‍म राशि कैसे जानें और इसे बनाने की विधि, ग्रहों की स्थिति जन्‍म नक्षत्र से राशिफल जानना और भविष्‍यफल बताने की विधि। यदि आप इन प्रश्‍नों में से किसी का भी उत्‍तर जानना चाहते हैं तो आपके लिए ये किताब पढ़ने लायक है और सबसे बड़ी बात कि इसे पढ़कर आपकी इस विषय में दिलचस्‍पी और बढ़ जायेगी।
Read More »

स्‍वामी रामसुखदास महाराज के अमृत वचन



Swami Ramsukhdas Ji Maharaj ke Pravachan aur Sahitya

मित्रों बचपन से ही हममें से ज्‍यादातर ने अपने घर में बुजुर्गों को गीताप्रेस गोरखपुर का साहित्‍य पढ़ते देखा है। चाहे पूजाघर में रखी रामायण, भगवदगीता या रामचरितमानस और अन्‍य पुस्‍तकें हों या मासिक पत्रिका कल्‍याण और इनके साथ ही बच्‍चों के लिए उपयोगी साहित्‍य भी गीताप्रेस उपलब्‍ध करवाता था। उन पुस्‍तकों के लेखक के रूप में हम स्‍वामी रामसुखदासजी के नाम से परिचित हैं। 

गीता पर लिखा गया उनका भाष्‍य 'साधक-संजीवनी' उनकी सबसे ज्‍यादा बिकने वाली किताबों में से है। विद्वानों के अनुसार आधुनिक समय में श्रीमदभगवद्गीता की सबसे सरल और प्रामाणिक व्‍याख्‍या इस पुस्‍तक में है। इसके अलावा भी उन्‍होंने आमजन के मार्गदर्शन और हिन्‍दू दर्शन की व्‍याख्‍या के लिए बहुत सी रचनाएं लिखीं। इनकी रचनाओं में उन्‍होंने एक बात पर विशेष तौर पर कही है कि भगवदप्राप्ति सबके लिए बहुत ही सरल और सहज है और इसके लिए किसी विशेष या कठिन मार्ग पर चलने की आवश्‍यकता नहीं है। 




यहॉं उनकी अमृतवाणी से निकले कुछ बिन्‍दु प्रस्‍तुत हैं :-


**भगवान याद करने मात्र से प्रसन्‍न हो जाते हैं, इतना सस्‍ता कोई नहीं। 

**भगवान के किसी मनचाहे रूप को मान लो और भगवान के मनचाहे आप बन जाओ। 

**आप भगवान के बिना नहीं रह सकें तो भगवान की ताकत नहीं कि आपके बिना रह जायें।

**ज्ञानी भगवान को कुछ नहीं दे सकता पर भक्‍त भगवान को प्रेम देता है। भगवान प्रेम के भूखे हैं ज्ञान के नहीं।

**मनुष्‍य खुद अपने कल्‍याण में लग जाये तो इसमें धर्म, ग्रंथ, महात्‍मा, संसार, भगवान सब सहायता करते हैं। 
 
**भगवान किसी को भी अपने से नीचा नहीं बनाते जो भगवान की गरज करता है उसे भगवान अपने से ऊंचा बनाते हैं।

**भगवान को याद करना ही उनकी सेवा करना है, पत्र-पुष्‍प-फल की भी आवश्‍यकता नहीं। द्रोपदी ने केवल याद किया था।

**जैसे मां बालक का सब काम राजी होकर करती है, ऐसे ही जो भगवान की शरण हो जाते हैं उनका सब काम भगवान करते हैं। 

**कलियुग उनके लिए खराब है जो भगवान का भजन-स्‍मरण नहीं करते, भगवदभजन करने वालों के लिए तो कलियुग भी अच्‍छा है।


Read More »

पाप और पुण्य : स्वामी विवेकानंद का एक प्रेरक प्रसंग



ये घटना है सन 1899 की। तब कोलकाता में प्लेग फैला हुआ था। शायद ही कोई ऐसा घर था जहां ये बीमारी ना पहुंची हो। ऐसी संकट की घड़ी में भी स्वामी विवेकानंद अपने शिष्यों के साथ पीड़ितों की सेवा में लगे हुए थे। वे खुद शहर की गलियां और बाजार साफ करते थे और जहां भी उन्हें प्लेग का मरीज दिखता उसे दवा देकर उसका उपचार करते थे।

उसी दौरान कुछ लोग स्वामीजी के पास आए और उनके ​मुखिया ने कहा — 'स्वामीजी धरती पर पाप बहुत बढ़ गया है, इसलिए प्लेग की महामारी के रूप में भगवान लोगों को दण्ड दे रहे हैं परंतु आप ऐसे लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा करके आप भगवान के काम में बाधा डाल रहे हैं।

समूह के मुखिया की बातें सुनकर स्वामीजी ने कहा : 'सबसे पहले तो मैं आप सब विद्वानों को प्रणाम करता हूं' इसके बाद उन्होंने कहा — 'आप ये सब तो जानते ही होंगे कि मनुष्य इस जीवन में अपने कर्मों के कारण सुख और दुख पाता है। ऐसे में जो व्यक्ति कष्ट से पीड़ित होकर तड़प रहा है, यदि दूसरा व्यक्ति उसके घावों पर मरहम लगा देता है तो वह स्वयं ही पुण्य का अधिकारी हो जाता है। अब यदि आपके अनुसार प्लेग से पीड़ित लोग पाप के भागी हैं तो जो कार्यकर्ता इनकी मदद कर रहे हैं वे पुण्य के भागी बन रहे हैं। बताईये इस संदर्भ में आपका क्या कहना है?' उनकी बात सुनकर वे सब लोग चुपचाप वहां से चले गए।
Read More »

दूरदर्शन के पुराने हिन्दी टीवी सीरियल



Golden Era of Old Doordarshan serials is back

हम सभी को याद है वो समय जब वक्त की रफ्तार इतनी तेज नहीं हुआ करती थी। जिंदगी दौड़ तो रही थी मगर एक सुकून हुआ करता था। टीवी एक मनोरंजन का माध्यम हुआ करता था ना कि चैनल बदलते रहने की एक अंतहीन लत का और पूरे परिवार और अपनों के साथ बैठकर टीवी देखने की यादें अब भी उतनी ही मीठी लगती हैं जैसे छुट्टियों में दादा—नाना के गांव जाना।

इंटरनेट ने एक तरफ लोगों की व्यस्तता बहुत ज्यादा बढ़ा दी है दूसरी तरफ बहुत सी ऐसी चीजें भी हमें उपलब्ध कराई हैं जो पहले नहीं मिलती थीं। आॅनलाइन शॉपिंग साइट्स से अब बाकी चीजों की तरह ही हम सबके पसंदीदा दूरदर्शन के पुराने टीवी शोज की डीवीडी भी खरीदी जा सकती हैं। अभी हाल ही में मुंशी प्रेमचंदी की कहानियों पर आधारित डीवीडी 'गुलदस्ता' आॅर्डर की। तब देखा यहां पुराने अधिकतर टीवी सीरियलों की डीवीडी वाजिब कीमत में उपलब्ध है।


इन धारावाहिकों के नाम और उन्हें खरीदने के लिए Amazon  लिंक हम यहां दे रहे हैं—



चाणक्य Chanakya
Buy Now

साराभाई Sarabhai v/s Sarabhai
Buy Now

देख भाई देख Dekh bhai Dekh
Buy Now

कथा सागर Katha Sagar
Buy Now

मालगुड़ी डेज Malgudi Days
 Buy Now

संपूर्ण रामायण Sampoorn Ramayana
Buy Now

महाभारत Mahabharat
Buy Now

श्री कृष्णा Shri Krishna
Buy Now

मिर्जा गालिब Mirza Ghalib
Buy Now

तमस Tamas
​Buy Now

तहकीकात Tehkikaat
Buy Now

कथा सागर Katha Sagar
Buy Now

अकबर बीरबल Akbar Birbal
Buy Now

फौजी Fauji
Buy Now

आॅफिस आॅफिस Office Office
Buy Now

ये जो है जिंदगी Ye jo hai zindagi
Buy Now

बच्चों के सीरियल भी यहां उपलब्ध हैं—

मोगली Mogli
Buy Now

शक्तिमान Shaktimaa
Buy Now

विक्रम बेताल Vikram Betal
Buy Now
Read More »

बेंजामिन फ्रैंकलिन की प्रसिद्ध सूक्तियॉं



Best Quotes by Benjamin Franklin in Hindi 


मित्रों बेंजामिन फ्रैंकलिन की आत्मकथा विश्व की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली आत्मकथाओं में से एक है। अठारहवीं सदी से लेकर आज तक उनका जीवन—चरित अमरीकियों ही नहीं विश्व भर के लोगों के लिए एक प्रेरणा—स्रोत रहा है। उनके उत्साहजनक और प्रेरक विचार दो शताब्दियों से भी अधिक समय से मानवजाति को दिशा दिखा रहे हैं। फिलहाल उनकी आत्मकथा के कुछ चुनिंदा उद्धरण यहां प्रस्तुत हैं।


सोती लोमड़ी मु​र्गियॉं नहीं पकड़ सकती। उठो, जागो।

खराब लोहे से अच्छा चाकू नही बनाया जा सकता।

एक पैसा बचाना ही एक पैसा कमाना है।

एक अच्छी मिसाल सबसे अच्छा धर्मोपदेश है ।

अच्छा बोलने से अच्छा करना ज्यादा बेहतर है।

अमीर वो है जो अपने हिस्से का आनंद उठा लेता है।

जो अपनी बुद्धिमानी को नहीं छुपा सकता वह एक मूर्ख व्यक्ति है।

सच्चाई और ईमानदारी आग और लपट की तरह हैं, जिनको लाख चाहकर भी नहीं छिपाया जा सकता।
Read More »

धार्मिक हिन्दी पुस्तकें और उपनिषद



Free online devotional hindi pdf books and Upanishads

वेद हिन्दू या सनातन धर्म का प्रारंभिक स्रोत हैं और उपनिषद वैदिक दर्शन का सार हैं। इन्हें ही वेदान्त के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय आध्यात्म और दर्शन में रुचि रखने वाले इन ग्रंथों के अध्ययन भर से ज्ञान की परम उंचाईयों को प्राप्त कर सकते हैं। मूलत: संस्कृत में लिखे गये इन ग्रंथों पर बहुत से विदेशी विद्वानों ने भी अपने भाष्य लिखे हैं। इनकी संख्या 108 मानी जाती है। परंतु मुख्य उपनिषद 12—13 ही हैं। उपनिषदों के अलावा श्रीमद्भगवदगीता को भी संपूर्ण वेदों का सार माना गया है। हमारे ये पवित्र ग्रंथ हमारी प्राचीन और वैदिक सभ्यता की अमूल्य धरोहर माने जाते हैं।
इस समय बहुत सारे धर्मग्रंथ और आध्यात्मिक साहित्य का एक बड़ा हिस्सा इंटरनेट पर भी उपलब्ध है। इसका एक बड़ा फायदा है कि बहुत सा ऐसा साहित्य आसानी से सभी जगह और दुनियाभर में इसके पढ़ने वालों को उपलब्ध हो जाता है। जो लोग इसे मुफ्त इंटरनेट पर उपलब्ध करा रहे हैं वे साधुवाद के पात्र हैं —

इस लिंक पर बहुत सारी धार्मिक पुस्तकें और ग्रंथ आसानी से डाउनलोड करके पढ़े जा सकते हैं। स्वयं भी इसका लाभ लें और दूसरों को भी बतायें।



Atreya Upanishad                    अत्रेय उपनिषद
Ishawasya Upanishad               ईशावस्योपनिषद्
Manusmriti                               मनुस्मृति
Vidur Niti                                 विदुरनीति
Gita-Govindam                        गीत गोविन्दम
Avadhoot Geeta                       अवधूत गीता
Bhajagovindam                        भजगोविन्दम
Vivekchudamani                       विवेकचूड़ामणि
Chaitanya Shikshamrit              चैतन्य शिक्षामृत
Saundarya Lahari                      सौन्दर्य लहरी
Shri udiya babaji ke sansmaran श्री उड़िया बाबाजी के संस्मरण
Samskrita Swayam Shikshak    संस्कृत स्वयं शिक्षक

Autobiography by a Yogi
Prana and Pranayama
Living with Himalayan Masters
Holy Geeta by Swami Chinmayanand
How I became a hindu by David Frawley
An Introduction to Buddhist Philosophy
Swami Sivanand : What happens to the soul after death



Read More »

हिन्दी निबंध लेखन के टिप्स



Tips for writing Hindi Essays- Hindi Essay How to

मित्रों लेखन एक कला है और ये एक ऐसी कला है जिसे सीखा जा सकता है और सीखकर और लगातार प्रयासों से इसे बेहतर से बेहतर बनाया जा सकता है। निबंध लेखन का उद्देश्य स्कूल लाइफ में बच्चों में की लेखन की कला का विकास करना ही है। पेपर में तो निबंध एक जरूरी भाग है ही उसके अलावा कई अवसरों पर भी बच्चों के लिए Schools की Extra curricular activities  में Essay writing competitions का आयोजन किया जाता
है।
तो आईये जानें अच्छा निबंध कैसे लिखा जाए और इसके लिए क्या तैयारी हो और लिखते समय किन बातों का ध्यान रखा जाए — 

1st Step- 
सबसे पहले तो हम जिस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं उस विषय से संबंधित सामग्री अधिक से अधिक पढ़ें। बच्चों को खासकर बड़ों से जरूर पूछना चाहिए उस विषय के बारे में क्योंकि कानों से सुना हुआ अक्सर याद रहता है और परीक्षा लिखते समय काम आता है। ​साथ ही पेपर हॉल में जाने से पहले दिनों में उस विषय की लिखकर प्रैक्टिस भी कर लेना चाहिए जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है।

2nd Step-
जहां तक संभव हो निबंध अपने शब्दों में लिखने की कोशिश करें। बच्चे खासकर निबंध को जैसे का तैसा रटकर जाते हैं इससे वे परीक्षा में उसे लिख तो आते हैं पर उनकी लेखन क्षमता और शैली का विकास नहीं हो पाता है साथ की रटे रटाये विषय के अलावा वे किसी दूसरे विषय पर लिखने से कतराते हैं। शुरूआत में भले ही ज्यादा प्रयास करना पड़े पर टीचर और पेरेंट्स को बच्चों को खुद के शब्दों में कुछ भी लिखने को प्रोत्साहित करना चाहिए।  

3rd Step-
निबंध को हमें चार या पांच स्टेप में लिखना चाहिए। जिनमें पहला स्टेप या चरण है — परिचय या प्रस्तावना। इसमें विषय के बारे में जानकारी देनी चाहिए। दूसरा स्टेप है — इसमें विस्तार से इस विषय के बारे में बताना चाहिए। तीसरे स्टेप में इस विषय से संबंधित उपयोगिता, लाभ हानि आदि के बारे में लिखना चाहिए जैसे यदि पर्यावरण प्रदूषण के बारे में निबंध लिख रहे हैं तो बताना चाहिए कि इससे स्वास्थ्य को क्या नुकसान हैं और क्यों इसे बचाये जाने की जरूरत है। चौथे स्टेप — में उपाय बताये जा सकते हैं जैसे पर्यावरण को कैसे बचाया जा सकता है। पांचवा स्टेप है — सारांश या उपसंहार। इसमें संक्षेप में निबंध का सार लिखा जा सकता है।

4th Step-
निबंध लिखते समय यह भी सावधानी बरतनी चाहिए कि दी गयी शब्द—सीमा या maximum word limit से बाहर ना निकले क्योंकि ज्यादा लंबा लिखने में समय भी बेकार होता है और मार्क्स देने वाला इसे ठीक से पढ़ता भी नहीं। इसलिए जहां तक संभव हो तय शब्द सीमा के अंदर ही लिखें।


Read More »

Hindi Typing and Windows 10



Last week I purchased a new Laptop that was enabled with Windows 10 operating system . Earlier I was using Microsoft Hindi Input Method Editor for hindi typing in Remington Layout. But Windows 10 denying to install its versions as they might not be updated. These old versions are working in windows 7 and 8 only and there is a need to update this typing tool to be updated & compatible with windows 10.

So what are the options?

Yet if you prefer inscipt keyboard it is already inbuilt and by enabling hindi language in settings you can easily use it for typing. you can also download Baraha for phonetic typing as its good for beginners for  learning. One more option is that you can make your own typing layout in windows 10 but it may be difficult.
If you want to type Devnagri in Remington layout only you have left with only one option. There is a online typing tool available and for now you have to depend on it if you use latest windows version untill some updated versions of hindi typing softwares are not launched.
So till then use this-
http://krutidevunicode.com/


Read More »

बच्चों की ​पत्रिकाएं आॅनलाइन पढ़ें



Read and Download Children's Hindi E- Magazines

अपने बचपन को याद करें जब आप अपनी प्यारी हिन्दी मैगजीन के अगले अंक का कितनी बेसब्री से इंतजार करते थे और जब पत्रिका हाथ में आ जाती थी तो जब तक उसे पूरा नहीं पढ़ लेते थे चैन से नहीं बैठते थे। उस समय नन्हे सम्राट, चंदामामा, चंपक, बालहंस, नंदन आदि हिन्दी पत्रिकाएं छपती थीं। हिन्दी कॉमिक्स जहां पढ़ने पर अक्सर डांट पड़ जाती थी वहीं इन पत्रिकाओं को पढ़ने की छूट थी। उस जमाने में जब इंटरनेट नहीं होता था तो गर्मी की छुट्टियों में तो ये चीजें किसी खजाने से कम नहीं थीं। इसीलिए इनको पढ़ने के बाद भी अच्छे से संभालकर रखा जाता था।

बच्चों की कुछ पसंदीदा मैगजीन्स आप यहां से पढ़ सकते हैं और मुफ्त डाउनलोड भी कर सकते हैं —

लोटपोट
बालहंस
बाल भास्कर
यंग भास्कर




Read More »

Swami Vivekananda ke Shaktidayi Vichar



स्वामी विवेकानंद के शक्तिदायी विचार

* सफलता प्राप्त करने के लिए जबरदस्त सतत प्रयत्न और जबरदस्त इच्छा रखो। प्रयत्नशील व्यक्ति कहता है, 'मैं समुद्र पी जाउंगा, मेरी इच्छा से पर्वत टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे।' इस प्रकार की शक्ति और इच्छा रखो, कड़ा परिश्रम करो, तुम अपने उद्देश्य को निश्चित पा जाओगे।

* अपने स्नायु शक्तिशाली बनाओ। हम लोहे की मांसपेशियां और फौलाद के स्नायु चाहते हैं। हम बहुत रो चुके— अब और अधिक ना रोओ, वरन् अपने पैरों पर खड़े होओ और मनुष्य बनो।

* हम देख सकते हैं कि एक तथा दूसरे मनुष्य के बीच अन्तर होने का कारण उसका अपने आप में विश्वास होना और ना होना ही है। अपने आप में विश्वास होने से सबकुछ हो सकता है। मैंने अपने जीवन में इसका अनुभव किया है, अब भी कर रहा हूं और जैसे जैसे मैं बड़ा होता जा रहा हूं, मेरा विश्वास और भी दृढ़ होता जा रहा है।

* विश्वास, विश्वास, अपने आप में विश्वास, ईश्वर में विश्वास — यही महानता का रहस्य है। यदि तुम पुराण के तैंतीस करोड़ देवताओं और विदेशियों द्वारा बतलाये हुए सब देवताओं में भी विश्वास करते हो, पर यदि अपने आप में विश्वास नहीं करते, तो तुम्हारी मुक्ति नहीं हो सकती। अपने आप में विश्वास करो, उस पर स्थिर रहो और शक्तिशाली बनो
Read More »